Jamaal: A poem by Dr. Sonia Gupta
 
 बड़ा ही खूबसूरत जग ख़ुदा तूने रचाया है, हरिक कण में जमाल-ए- नूर अद्भुत सा समाया है ! अरुण, चंदा, सितारे टिमटिमाते से वो अम्बर में, कहीं सहरा दहकता सा, कहीं झरने वो झर झर से, टपकती ओस की बूँदें, कहीं कोहरा सा छाया है ! बड़ा ही खूबसूरत....................... .................... सुहानी भोर, रातें स्याह, खिलते फूल मधुबन में, चहकते पंछियों की धुन, विचरते जीव वो वन में, नजाने रंग कितने भर, जहाँ तूने सजाया है ! बड़ा ही खूबसूरत....................... .................... लहरते पेड़, वो डाली, हरित वसुधा, समन्दर वो, बरफ की चोटियाँ ऊँचीं, कहीं बिखरे से कंकर वो, पवन बहकी सी चलती है, फिज़ा ने गीत गाया है ! बड़ा ही खूबसूरत....................... .................... उमड़ते मेघ सावन में, गरजती दामिनी नभ में, झनन झन झन बरसती बूँद, बरखा की वो सावन में, लगे ऐसे धरा पर स्वर्ग जैसे आज आया है ! बड़ा ही खूबसूरत....................... .................... हिना हाथों में महकी सी, खनकते हाथ में कंगन, घटा सा नैन में काजल, पैजनिया पाँव में झन झन, तूने सोंदर्य की इक मूरत, नारी को बनाया है ! बड़ा ही खूबसूरत..................
 
 
 
 
