वो लम्हें: प्रियंका प्रियदर्शिनी द्वारा रचित कविता
वो लम्हें जो दिल में घर कर गये
दस्तक हर बार देकर हर्षित कर गये...
ख्यालों में यादें करवट लेती है
सुनो ना! तुमसे फिर ये कहती है...
क्या तुमने ऐसा महसूस किया है??
जैसा मैं महसूस कर आनंदित हूँ...
फिर उसमें सिमट ही गये हो तुम...
धुंधला हर ओर ही सब दिखता
सामने क्या है समझ ना आता...
अपने पैरों पर जैसे नज़र टिक गयी
तब हाथों ने जो राह दिखायी...
ठंडी दूब पर मैं शांत बैठ गयी
कोहरे की चादर से लिपट गयी...
महसूस करने लगी अपनी धड़कन
जी लेना चाहता उस पल को मन...
स्वयं को पहचाना जो पहली बार
ये सुकून अच्छी लगी पहली बार...
पढ़ती खुद को दुनिया से हो अंजान
स्वीकार है मुझे अपनी अलग पहचान...
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