कच्चे धागे: शीला एस. अय्यर द्वारा रचित कविता
रिश्तों
को
जब हम बुनते है कच्चे धागों से,
नहीं फलते वो सिर्फ साथ निभाने से।
ना घोलों रिश्तों में कोई ज़हर
ज़िन्दगी
बड़ी ही छोटी है, जियो हर पहर।
ना रिश्तों को कसके पकड़ो, ना ढील दो
इन्हे
बस प्यार से सीचों और दिल में बसा लो।
दिल में गर कोई बात हो, तो कह दो
किसी भी कड़वाहट को ना पनपने दो।
कच्चे
धागों से बने रिश्ते, अक्सर टूट जाते है
जोड़ तो लोगे इन्हे, पर गाँठ रह जाती है।
गलतफ़हमी
का शिकार ना बनो
रिश्तों
का मोल जरा समझो।
झूठ का दामन ना थामो ऐ नादान
अपनों से नाराज़ रहना नहीं आसान।
रिश्ते तो जुड़ते है मुकदर से
गवा ना दो अपने अहंकार से।
रिश्तों
में स्वार्थ की ज़मीन ना हो
इनमें तो बस फूलो सी खुशबू हो।
यूँ ही नहीं आती रिश्तों में मिठास,
हर रिश्ते की नींव होती है विश्वास।
Comments
Post a Comment