कच्चे धागे: राधा शैलेन्द्र द्वारा रचित कविता


कहने को सिर्फ कहलाते है ये कच्चे धागे
जरा देखो न इन मन्नत के धागों को
किसी से बंध जाते तो पूरा कर देते है
हर मुराद के सपने!
भाई की कलाई पर सज जाये तो
बन जाते है दुआयें
बहन के हाथों बंध जाये तो
बढ़ जाती है उम्र की डोर!
ये कच्चे धागे न जाने
कितने रिश्तें को समेटे खुद में
रिश्तों की अहमियत बतलाते है!
पत्नी के हाथों में बांधकर
सात जन्मों का अटूट बंधन बनाता है
एक इंसान,फिर वो कच्चा धागा
बन जाता है सबसे मजबूत धागा
जो बांध लेता है
अनगिनत रिश्ते!

यही तो है कच्चे धागे... 




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