मुस्कान: कुमार मलय द्वारा रचित कविता


कोई  मिल  गया  कोई  खो गया संसार में
हाय  रब्बा  देखो  क्या  हो  गया  प्यार  में ! 

सौदा-ए-दिल में  वो  बिक गया  बाज़ार में
दिल हार के  दिल जीत  वो  गया  प्यार में !

मुस्कान सजाये  लबों  पर  गुनगुनाता रहा
ज़िंदगी  गैरों  के कर वो गया  अधिकार में !

देखा जो उसको  चाँद की  मुस्कान खिली  
ये  बंदा   लो अब  डूब वो गया  मझधार में !

राह-ए-इश्क़ में  फ़तह शिकस्त  होती नहीं
फ़लसफ़ा-ए-इश्क़ बतला वो गया  प्यार में !

दर्द था लरज़ता उसकी मुस्कान में यक़ीनन
बेचैन  जब  भी  था  वो  हुआ   इंतज़ार  में !

कितनी हसीं कितनी दिलकश  मुस्कान है ये
पाकीज़ा अहसासों के आ जो गया संसार में !

अश्क़ों से  भीगी  मुस्कान  होठों  पर  लिए
वो  बीज दर्द  का  मलय  बो  गया  प्यार में !




     

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