रिम झिम गिरे सावन: राधा माथुर द्वारा रचित कविता


  रिमझिम करता सावन आया,
  संग, नव उमंग ,उल्लास लिये,
  उमड़ - घुमड़,  मतवारे   बदरा,
  ख़ुशियों  की    बौछार    लिये,

  मंद फुहार का  कोमल   स्पर्श,
  रोम - रोम   को    सींच    रहा,
  मंत्र  - मुग्ध ,   आनन्द     मग्न,
  हर प्राणी, स्वागत में झूम रहा ,

 घनन-घनन जब ,बदरा बरसे,
  कृषक का तप, पाता  वरदान,
  प्यासी  वसुधा,लहलहा  उठी
  हरे- भरे  हुए ,खेत  खलिहान,

 अमर्यादित, घनघोर  सी वर्षा ,
  जब  रौद्र रूप  धारण  करती,
  जाता उजड़ निर्धन का जीवन,
  वज्र बन कर ,उन  पर  गिरती।

 आओ !जीवनदायिनी बरखा ,
  ख़ुशहाली  का  उपहार  लिये,
  सोंधी सुगन्ध ,  चहुँ हरियाली,
  समृद्धि की मस्त फुहार लिये।







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