Kuch to khaas tha unmein: A poem by Somya Nanda
कुछ तो खास था उनमें
कुछ अपनेपन का एहसास था उनमें
आज भी याद है वो अनोखा पल
हसी में भी दु:ख को पहचाने का अंदाज था उनमें,
आंखों में अजीब सी कशिश थी
होंठों पे मुस्कान था भरा
दिल की गहरईयों में था उनका बसेरा।
दिल के दरवाजे से दस्तक देते हुए
दिल की गहराई यों कों झांका करते थे
मेरी हँसी में छुपे दर्द को आंखो से बयां करते थे
रिश्ता क्या था अल्फाज़ ना बयां कर पाएंगे
इनको हमने कभी ना अपना माना,
ना कभी पराया कह पाएंगे ।
कुछ रिश्ते अजीब होते हैं
समंझ से बाहर और कल्पना से परे होते है
वो रिश्ता है हमारा उनके साथ
वो पहेली अनोखी सी लगती हैं
कुछ तो खास था उनमें
कुछ अपनेपन का एहसास था उनमें
आज भी वो बाते याद आती है
Loved the lines....beautifully expressed words. Thanks for sharing.
ReplyDeleteBeautiful
ReplyDeleteWow....lady...u ve done it
ReplyDeleteWow mam, beautiful
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता । कुछ तो खास था उनमे
ReplyDeleteSo super
ReplyDelete